हल्द्वानी हिंसा मामले में अब तक 100 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इनमें मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक, उसका बेटा अब्दुल मोइद और 6 महिलाएं शामिल हैं।
हल्दवानी हिंसा मामले में पुलिस ने और चार लोगों गिरफ्तार किया है। इसी के साथ गिरफ्तारी का कुल आंकड़ा बढ़कर 100 पहुंच गया है। पुलिस ने जिन चार लोगों को गिरफ्तार किया है उनमें एक महिला भी शामिल है। आरोपियों की पहचान नवी हुसैन, जीशान उर्फ जिब्बू, मोहम्मद समीर और हाजरा बेगम के रूप में हुई है। वहीं जिन लोगों को अब इस मामले में गिरफ्तार किया गया है उनमें हिंसा के मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक, उसका बेटा अब्दुल मोइद और 6 महिलाएं शामिल हैं।
हिंसा में शामिल दोषियों की गिरफ्तारी के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) प्रहलाद नारायण मीना के निर्देश पर विभिन्न टीमों का गठन किया गया है। प्रह्लाद नारायण मीना ने कहा, सीसीटीवी फुटेज और अन्य सबूतों के आधार पर हमारी टीमें घटना स्थलों के आसपास स्थित घरों पर छापेमारी कर रही हैं। हम अब तक 96 बदमाशों को अवैध हथियारों के साथ गिरफ्तार करने में सफल रहे हैं। उनके कब्जे से कारतूस भी बरामद किए गए। इसके अलावा हमने चार और गिरफ्तारियां की हैं, जिनमें एक महिला भी शामिल है। ऐसे में हल्दवानी हिंसा में अब तक गिरफ्तार होने वाले लोगों की कुल संख्या 100 हो गई है। हिंसा के दौरान सार्वजनिक संपत्तियों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए नैनीताल प्रशासन ने भी प्रयास तेज कर दिए हैं। मुख्य आरोपी अब्दुल मलिक के बनभूलपुरा स्थित घर पर 2.44 करोड़ की वसूली का नोटिस चस्पा किया गया है।
बता दें, 8 फरवरी को हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में उस वक्त हिंसा भड़क गई थी जब प्रशासन की टीमें तमाम बंदोबस्त के साथ अतिक्रमण हटाने के लिए पहुंची थी। इससे वहां के लोग इतने गुस्से में आ गए देखते ही देखते हिंसा भड़क गई। इसकी शुरुआत विरोध जताने से हुई लेकिन फिर पथराव शुरू कर दिया और फिर धीरे-धीरे स्थिति बिगड़ती चली गई। इस दौरान तोड़फोड़, आगजनी और गोलीबारी की भी कई घटनाएं सामने आई। पूरे शहर में इतना तनाव बढ़ गया कि कर्फ्यू लगाना पड़ गया।
घटना के बाद, इस महीने की शुरुआत में उत्तराखंड कैबिनेट ने राज्य में दंगों में हुए सार्वजनिक या निजी संपत्ति के नुकसान की भरपाई दंगाइयों से ही करने के लिए एक अध्यादेश को भी मंजूरी दे दी थी। उत्तराखंड सार्वजनिक और निजी संपत्ति क्षति वसूली अध्यादेश, दंगों और हिंसक विरोध प्रदर्शनों में सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को हुए नुकसान का आकलन करने और मुआवजा देने के लिए दावा न्यायाधिकरण की स्थापना का आदेश देता है। अध्यादेश में 8 लाख रुपये तक जुर्माना और जंगों को रोकने के दौरान सरकार की तरफ से किए गए खर्च की वसूली का भी प्रावधान किया गया है। अधिकारियों ने कहा कि दंगाइयों को हिंसा में घायल हुए लोगों के इलाज का खर्च भी देना होगा।