चिंता, नींद न आना और रोजाना के तनाव के साथ, एक और कंडिशन है, जो मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) के नियमित बातचीत में अक्सर सामने आती है, वह है ओवरथिंकिंग (Overthinking) यानी जरूरत से ज्यादा सोचना। जबकि सोचना हमारे लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन यह कभी-कभी कुछ ज्यादा ही हो जाता है।
ऐसे में आप कैसे पता करेंगे कि कब सोच में डूबा रहना आपके लिए फायदेमंद है और कब ये बेवजह है और आपकी मेंटल हेल्थ को नुकसान पहुंचा रहा है। हम कैसे तय करते हैं कि विचारों का एक सामान्य, स्वीकार्य स्तर या तीव्रता क्या है और किस बिंदु के बाद हमें इससे छुटकारा पाने की जरूरत है?
Overthinking की वजह: हम जरूरत से ज्यादा क्यों सोचते हैं?
मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, साकेत, नई दिल्ली में मेंटल हेल्थ एंड बिहैव्यरल साइंसेज डिपार्टमेंट के हेड और डायरेक्टर डॉ. समीर मल्होत्रा के मुताबिक ओवरथिंकिंग या तो विचारों की संख्या में वृद्धि या दिमाग में किसी विशेष विचार के निर्धारण से संबंधित होती है, जिस पर ध्यान देने की जरूरत है, अगर:
- अनचाहे विचारों की श्रृंखला
- एकाग्रता में परेशानी
- काम पर ध्यान न दे पाना
- महत्वपूर्ण भूमिकाओं/जिम्मेदारियों की उपेक्षा
- अनिच्छा के कारण काम में टालमटोल
- अनिर्णय
- नींद में खलल
- अशांत मनोदशा और व्यवहार
- ऊर्जा के स्तर में परिवर्तन
- आत्मविश्वास में दिक्कत
- जीवन की समग्र गुणवत्ता में गड़बड़ी
- भावनात्मक रूप से उदास और निराश महसूस करना
जरूरत से ज्यादा सोचना कैसे रोकें?
ऐसा कौन है, जिसने कोई रात बिना नींद के किसी समस्या या तनाव से जूझते हुए न गुजारी हो। यह असल में एक समस्या है और जितना हम समझते हैं, उससे कहीं ज्यादा आम है। हालांकि, अच्छी बात ये है कि इसे थोड़े प्रयास और ध्यान से समझा और हल किया जा सकता है।
जो ओवरथिंकिंग से निपटने के लिए जीवनशैली और विचारों में बदलाव के लिए किए जा सकते हैं:
- स्वयं सहायता तकनीक
- डिस्ट्रैक्शन तकनीक
- एक स्वस्थ जीवन शैली, रचनात्मक शौक और नियमित व्यायाम
- एक क्रिया-उन्मुख दृष्टिकोण
- प्रभावी समय प्रबंधन