इस ऐलान के बाद फरवरी महीने की बिजली दरों में 15 पैसे से लेकर 58 पैसे प्रति यूनिट तक का इजाफा होगा। इस बार बीपीएल, घरेलू, कॉमर्शियल से लेकर औद्योगिक हर श्रेणी पर महंगी बिजली की मार पड़ेगी।
बिजली उपभोक्ताओं को एक बार महंगाई का जोरदार झटका लगने वाला है। फरवरी महीने में बिजली बिलाकं में इजाफा होने वाला है। ऊर्जा निगम की ओर से इसको लेकर तैयारी पूरी कर ली गई है। ऊर्जा निगम ने फरवरी महीने के लिए फ्यूल एंड पावर परचेज कॉस्ट एडजस्टमेंट सरचार्ज का ऐलान कर दिया है। इस ऐलान के बाद फरवरी महीने की बिजली दरों में 15 पैसे से लेकर 58 पैसे प्रति यूनिट तक का इजाफा होगा।
इस बार बीपीएल, घरेलू, कॉमर्शियल से लेकर औद्योगिक हर श्रेणी पर महंगी बिजली की मार पड़ेगी।
एक जुलाई से राज्य में हर महीने उपभोक्ताओं पर फ्यूल एंड पावर परचेज कॉस्ट एडजस्टमेंट सरचार्ज का भार डाला जा रहा है। केंद्र सरकार की ओर से बाजार से हर महीने खरीदी जाने वाली महंगी बिजली का भार हर महीने ही उपभोक्ताओं पर डाले जाने का आदेश होने के बाद ये व्यवस्था उत्तराखंड में भी शुरू हो गई है।
विद्युत नियामक आयोग के आदेश के बाद अब ऊर्जा निगम अपने स्तर पर ही हर महीने उपभोक्ताओं के लिए सरचार्ज तय कर रहा है। एक जुलाई 2023 से इसकी शुरुआत हो गई है। इस बार फरवरी महीने के लिए बीपीएल उपभोक्ताओं को 15 पैसे, घरेलू 40 पैसे, कॉमर्शियल 58 पैसे और औद्योगिक श्रेणी के उपभोक्ताओं को हर महीने 54 पैसे प्रति यूनिट का अतिरिक्त भुगतान करना होगा।
एक मार्च को उपभोक्ताओं के यहां जो बिजली बिल आएगा, उसमें ये अतिरिक्त भुगतान करना होगा। मार्च महीने के लिए अलग से बिजली दरों का ऐलान अगले महीने किया जाएगा। एमडी यूपीसीएल अनिल कुमार ने फरवरी महीने के लिए फ्यूल एंड पाव परचेज कॉस्ट एडजस्टमेंट सरचार्ज जारी किए जाने की पुष्टि की।
अक्तूबर में ही राहत
ऊर्जा निगम ने एक जुलाई से ये हर महीने सरचार्ज की व्यवस्था तय की है। जुलाई से लेकर मौजूदा समय तक सिर्फ एक बार अक्तूबर महीने में ही उपभोक्ताओं को राहत मिल पाई है। इस महीने बिजली दरें बढ़ने की बजाय कम हो गई थीं। बिजली उपभोक्ताओं को सात पैसे से लेकर 25 पैसे प्रति यूनिट तक रिफंड किया गया था।
इस माह खर्च करने होंगे 80 रुपये अतिरिक्त
यदि किसी उपभोक्ता के घर में 200 यूनिट बिजली खर्च होती है, तो फरवरी माह में उन्हें 80 रुपये अतिरिक्त खर्च करने होंगे। 300 यूनिट खर्च होने पर 120 रुपये अतिरिक्त देने होंगे। कॉमर्शियल और औद्योगिक श्रेणी के उपभोक्ताओं को और अधिक अतिरिक्त खर्च करना होगा।